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Tuesday 8 June 2010

ये बेखुदी बेसबब नहीं

ये बेखुदी बेसबब नहीं ..................................
        भोपाल गैस कांड क़ी भयानक तस्वीरें मैं तो देखने क़ी भी हिम्मत नहीं कर सकता,जिनपर यह सब बीता उनके बारे में सोच कर ही आँख भर आती है. लेकिन यह उनलोगों का दुर्भाग्य है क़ि वे इस देश में पैदा हुवे वो भी गरीब बन कर. यह वही देश है जंहा से गरीबी नहीं गरीब को ही ख़त्म कर देने क़ि बात कही जाती है . शायद यही कारण रहा होगा जो एक रात में ही पूरे शहर को शमसान बना देने वालों को सरकार बचाती रही . सालों के इन्तजार के बाद इन्साफ के नाम पर गरीबों के गाल पर फिरसे तमाचा जड़ने का ही काम इस सरकार ने किया है.  
            यह देश सामाजिक सरोकारों से बहुत दूर होता जा रहा है. भ्रष्ट लोगों के हाँथ क़ी कठपुतली बन कर रह गया है दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र .पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ मैं नहीं हूँ ,लेकिन अगर सामान्य जनता द्वारा चुनी गयी लोकतान्त्रिक सरकार पूजी पतियों को बचाने के लिए इतनी अमानवीय और असहनीय कार्य को करे गी तो लोकतंत्र में सांस लेना नामुमकिन हो जायेगा .
                         सरकार ने जिस तरह से सी.बी.आई. का दुरूपयोग करके पूंजीपतियों के हितों क़ी रक्षा क़ी उसकी जितनी भी निंदा क़ी जाय वह कम है .सरकार क़ी सारी उठा-पटक देख कर ग़ालिब का वह शेर याद आता है क़ि--
              ये बेखुदी बेसबब नहीं है ग़ालिब 
              कही किसी क़ी पर्दादारी तो है .   
     

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