रिश्तो की रंगोली में ,
तेरे प्यार का रंग चाहिए ।
हमसफ़र मुझे तो,
सिर्फ़ तेरे जैसा चाहिए ।
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Sunday 11 October 2009
आज जो तुम याद आए ----------
आज जो तुम याद आए,
न जाने क्यो हम बहुत घबराए ।
दोष तो तुम्हे देते रहे अभी तक,
आज ख़ुद का सामना नही कर पाये।
काश वे पल एक बार फ़िर मिल पाते तो,
सुधारता अपनी गलतियों को ।
तुम्हारे लिए नही ,
अपनी लिए ही क्योंकि ,
तुम्हारे बाद मैं ,
तुम्हारे साथ की ही तरह ,
चैन से सोना चाहता हूँ ।
न जाने क्यो हम बहुत घबराए ।
दोष तो तुम्हे देते रहे अभी तक,
आज ख़ुद का सामना नही कर पाये।
काश वे पल एक बार फ़िर मिल पाते तो,
सुधारता अपनी गलतियों को ।
तुम्हारे लिए नही ,
अपनी लिए ही क्योंकि ,
तुम्हारे बाद मैं ,
तुम्हारे साथ की ही तरह ,
चैन से सोना चाहता हूँ ।
Thursday 19 March 2009
मीठी -मीठी तेरी बोली
मीठी -मीठी तेरी बोली
मन को मोहित करती है
अंदर ही अंदर मै हर्षित
करके तुझको याद प्रिये
उषा की लाली मे ही
नया सवेरा खिलता है
तिमिर भरी हर रात के आगे
रश्मिरथी उपहार प्रिये
पहले कितना शर्माती थी
अब तुम कितना कहती हो
मुझसे मिलकर खिलती हो
लगती हो जैसे परी प्रिये
मरे अंदर जितना तुम हो
उतना हे मैं तेरे अंदर
हम दोनों मे मैं से जादा
भरा है हम का भाव प्रिये
मन को मोहित करती है
अंदर ही अंदर मै हर्षित
करके तुझको याद प्रिये
उषा की लाली मे ही
नया सवेरा खिलता है
तिमिर भरी हर रात के आगे
रश्मिरथी उपहार प्रिये
पहले कितना शर्माती थी
अब तुम कितना कहती हो
मुझसे मिलकर खिलती हो
लगती हो जैसे परी प्रिये
मरे अंदर जितना तुम हो
उतना हे मैं तेरे अंदर
हम दोनों मे मैं से जादा
भरा है हम का भाव प्रिये
Wednesday 18 March 2009
मै न रहूँगा सच है लेकिन --------
दे कर प्रेम ताल पे ताल
मस्ती भरी चलू मैं चाल
नव पर नव की अभिलाषा
मन मे मेरे भरी प्रिये
मैं न रहूँगा सच है लेकिन
रहेगी मेरी अभिलाषा
एक ह्रदय की दूजे ह्रदय से
यह करेगी सारी बात प्रिये
जो हम चाहें वो मिल जाये
ऐसा अक्सर कब होता
जो है उसमे खुश रहना
खुशियों की सौगात प्रिये
मंजिल की चाहत मे हम
लुफ्त सफ़र का खोते हैं
है जिसमे सच्चा आनंद
उसी को खोते रहे प्रिये
तकलीफों से डर के हम
नशे मे डूबा करते हैं
बद को बदतर ख़ुद करते
फ़िर किस्मत कोसा करें प्रिये
प्रेम भरे मन की अभिलाषा
मधुशाला मे ना पुरा होती
प्रेम को पूरा करता है ,
जग मे केवल प्रेम प्रिये
मदिरालय मे जानेवाला
कायर पथिक है जीवन का
जो संघर्षो को गले लगाये
कदमो मे उसके जग है प्रिये
जिसके जीवन मे केवल
पैमाना-शाकी -बाला है
जीवन पथ पे उसके गले मे
सदीव हार की माला प्रिये
मस्ती भरी चलू मैं चाल
नव पर नव की अभिलाषा
मन मे मेरे भरी प्रिये
मैं न रहूँगा सच है लेकिन
रहेगी मेरी अभिलाषा
एक ह्रदय की दूजे ह्रदय से
यह करेगी सारी बात प्रिये
जो हम चाहें वो मिल जाये
ऐसा अक्सर कब होता
जो है उसमे खुश रहना
खुशियों की सौगात प्रिये
मंजिल की चाहत मे हम
लुफ्त सफ़र का खोते हैं
है जिसमे सच्चा आनंद
उसी को खोते रहे प्रिये
तकलीफों से डर के हम
नशे मे डूबा करते हैं
बद को बदतर ख़ुद करते
फ़िर किस्मत कोसा करें प्रिये
प्रेम भरे मन की अभिलाषा
मधुशाला मे ना पुरा होती
प्रेम को पूरा करता है ,
जग मे केवल प्रेम प्रिये
मदिरालय मे जानेवाला
कायर पथिक है जीवन का
जो संघर्षो को गले लगाये
कदमो मे उसके जग है प्रिये
जिसके जीवन मे केवल
पैमाना-शाकी -बाला है
जीवन पथ पे उसके गले मे
सदीव हार की माला प्रिये
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