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Saturday 24 April 2010

संतप्त मन अपने विकार से /

संतप्त मन अपने विकार से ,
आस क्यूँ रखा प्यार से ;
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संतप्त मन अपने विकार से ,
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विप्लव अभिलाषाएं लाती है ,
लालायित इच्छाएं तड़पाती हैं ;
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प्यार इक विशाल वृछ है ,
कामनाएं कांटे सदृश हैं ;
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प्यार सुख देने का नाम है ;
प्यार एक दैविक ध्यान है ;
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त्याग स्नेह इसकी परिभाषा ,
होती नहीं इसमे कोई आशा ;
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संतप्त मन अपने विकार से ,
गम है मिलता अहंकार से /

संतप्त मन अपने विकार से /

ताशकंद शहर

 चौड़ी सड़कों से सटे बगीचों का खूबसूरत शहर ताशकंद  जहां  मैपल के पेड़ों की कतार  किसी का भी  मन मोह लें। तेज़ रफ़्तार से भागती हुई गाडियां  ...