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Tuesday 29 June 2010

टूटता दिल आवाज क्या करता

टूटता दिल आवाज क्या करता ,

बहते आंसुओं को हिसाब क्या कहता ;

मचला तो था मेरा भी जिगर कभी ,

उसकी बेवफाई का जवाब क्या कहता /

Wednesday 26 May 2010

कभी इठला के दिल चुराया ,

कभी इठला के दिल चुराया ,

कभी शरमा के बदन ;

इन्तहा तब हो गयी ,

ढरकता पल्लू औ कहा हमदम /

Wednesday 14 April 2010

तेरे ऐतबार पे दिल नहीं आया था

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तेरे ऐतबार पे दिल नहीं आया था ,तेरे चंचलता पे न मै मुसकराया था ;
तेरी मासूमियत की जफ़ाओं ने मन मोहा ,तेरी निश्छलता ने दिल चुराया था /

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ताशकंद शहर

 चौड़ी सड़कों से सटे बगीचों का खूबसूरत शहर ताशकंद  जहां  मैपल के पेड़ों की कतार  किसी का भी  मन मोह लें। तेज़ रफ़्तार से भागती हुई गाडियां  ...