Showing posts with label तुम से तुम ही को चुराने क़ी आदत में. Show all posts
Showing posts with label तुम से तुम ही को चुराने क़ी आदत में. Show all posts

Wednesday 30 October 2013

तुम से तुम ही को चुराने क़ी आदत में

तुम से 
 तुम ही को चुराने क़ी आदत में  
 जो कुछ बातें शामिल हैं 
 वो हैं -
 तुमसे मिलना
     तुम्हे देखना 
  तुमसे बातें  करना  
 और जब ये संभव  न हों तो 
  तुम्हें सोचना 
  तुम्हें महसूस करना  
  या कि   
तुम पर ही कविता लिखना
 तुम  
अब मेरे लिए  
जीवन की एक अनिवार्य शर्त सी हो 
 तुम एक आदत हो 
 तुम परा-अपरा के बीच 
 मेरे लिए संतुलन का भाव हो  
तुम जितना ख़ुद की हो ,
 उससे कँही अधिक 
 मेरी हो।   
हो  ना  ?


ताशकंद शहर

 चौड़ी सड़कों से सटे बगीचों का खूबसूरत शहर ताशकंद  जहां  मैपल के पेड़ों की कतार  किसी का भी  मन मोह लें। तेज़ रफ़्तार से भागती हुई गाडियां  ...