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Thursday 17 December 2009

उस दिन /

मैंने बाल कटाया उस दिन ,
जुल्फों को रंगवाया उस दिन ;
चेहरे को massage कराया उस दिन ,
कितनी देर नहाया उस दिन /
शम्पू से बालों को धोया ,
बॉडी वाश से बदन भिगोया ;
mainicure कराया उस दिन ;
padicure कराया उस दिन ;
चेहरे पे moisture लगाया ,
तन को deo से महकाया ;
मोज़े में भी scent लगाया ,
mouth freshner से मुंह गरगलाया ;
मन कितना हर्षित था उस दिन ,
तन कितना पुलकित था उस दिन ;
उनसे मिलने की जल्दी थी मुझको ,
आखों में भरना था उनको ;
उनकी बातों में रमना था उस दिन,
उनको बाँहों में भरना था उस दिन ;
भाव मेरे खिले हुए थे ;
सपने आखों में घुले हुए थे ;
तैयार हुआ सज धज के उस दिन ;
तभी रिंग बजी ``आज नहीं किसी और दिन ``
मुझको बोला ऐसा वो उस दिन ;
एक निराशा दिल में छाई ,
आखों में नमी थी आई ,
ना घर में ना बाहर रह पाता ,
ना हंस ना ही रो पाता ;
क्या बीती थी मुझपे उस दिन ;
क्या सोचा क्या हुआ था उस दिन /

Wednesday 16 December 2009

सरल सहज साधारण सपनों का साथ लिए /

सरल सहज साधारण सपनों का साथ लिए ,
सुन्दर सीधी साथी के सांसों का भान लिए ;
सम्यक ,संकुचित सतही सा ज्ञान लिए ,
मै निकला था जीवन की राहों में ,
अपने और घरवालों का अरमान लिए /

राहों में उलझा ,बातों में खीझा ,
भटका सालों फिर भी जीवन ना सुलझा ;
हार ना मानी जीत ना जानी ,
तकलीफें आयीं , मुश्किल झायी ,
हिम्मत ना हारी मै ना पलटा ,
चंचलता आयी ,माया ने माया फैलाई ;
मन भरमाया ,तन छितराया ,
भावों ने टोका ,राहों पे लौटा ;

सरल सहज साधारण सपनों का साथ लिए ,
सुन्दर सीधी साथी के सांसों का भान लिए ;
सम्यक ,संकुचित सतही सा ज्ञान लिए ,
मै निकला था जीवन की राहों में ,
अपने और घरवालों का अरमान लिए
/


अपनो के प्यार ने वर्षों को आसान किये ,
आशीर्वाद और आशीष ने मंजिल तक की रह दिए ;
माँ के भावों ने हरदम मुझे संजोये रक्खा ,
भाई बहनों कितने ही अपनो की दुआओं ने भटकाव को रोका ;
साथी तेरे प्यार ने कितने ही पल आसान किये ;
रुका नहीं हूँ अब भी मै तो पर चलता हूँ संज्ञान लिए, ,
बाँहों में सीखा ,राहों में सीखा और सीखा अभावों में
गिर के सीखा लड़ के सीखा और सीखा स्वभावों में ,
ममता से सीखा ,स्नेह से सीखा और सीखा बंधुत्व से ,
दुश्मन से सीखा ,चिलमन से सीखा और सीखा सदभाव से ;
यारी से सीखा तीमारदारी से सीखा और सीखा सरदारी से ;
भाग्य से सीखा अभाग्य से सीखा और सीखा खुद्दारी से ;
पास नहीं है मंजिल फिर भी, पर अब वो दूर नहीं है ;
साथ अभी भी है सब अपनो का ,जहाँ में इससे बढकर ख़ुशी नहीं है ;
राहों में चलने की हैं खुशियाँ मंजिल तो पल भर की है ;
नयी तलाश नयी मंजिले फिर बनती हैं खुशियाँ तो जीने में है /

सरल सहज साधारण सपनों का साथ लिए ,
सुन्दर सीधी साथी के सांसों का भान लिए ;
सम्यक ,संकुचित सतही सा ज्ञान लिए ,
मै निकला था जीवन की राहों में ,
अपने और घरवालों का अरमान लिए /

Monday 14 December 2009

भूत तो इतिहास है ,आज कहाँ तेरा साथ है ;

न आस हो न प्यास हो न झुलाता विश्वास हो ;

न प्यास हो ,न विलास हो पर जीवन की साँस हो ;

वक्त ना धूमिल कर सके समय साथ जो चल सके ;

व्यक्त तो हुआ नही पर अव्यक्त जो न रह सके ;

दुरी जिसे न मोड़ सके तकलीफे जिसे न तोड़ सके ;

वो मेरा अहसास हो ,तुम वही मेरा प्यार हो /

भाग्य में है क्या ,क्या पता ;

राह में है क्या , क्या पता ;

भाव में है क्या , क्या पता ;

भूत तो इतिहास है ,आज कहाँ तेरा साथ है ;

भविष्य में है क्या ,क्या पता ?

दिल से मोहब्बत जाती नही ,

प्यार को दूरी भाती नहीं ;

बाँहों में भींच लेना अपने सपनों में तू मुझे ;

मुझे आज कल नीद आती नही /

जीवन की उलझनों में उलझाना क्या ;

रिश्ते के भ्रमो में भटकना क्या ;

ह्रदय की गहराइयों में झाक के देखो ;

प्यार के रिश्ते में झगड़ना क्या ?

Monday 16 November 2009

दिल से निकल पलकों पे सजा लिया तुने /

१ मेरी बाँहों की चाह तुझे अब भी होगी यूँ ही कभी ;
मैं भी अपनो की निगाहों में होता था यूँ ही कभी ;
आज किसी और की आगोश में तुझे सुख मिलाता है ;
तेरी बाँहों में मैं भी खिलता था यूँ ही कभी /

2 दिल से निकल पलकों पे सजा लिया तुने ,
मुझसे वफ़ा ना करते मेरी वफ़ा को क्यूँ सजा दिया तुने /

3 तेरी बेवफाई से शिकायत कैसी ,
कभी मैंने भी बेवफाई की होगी ;
गम तो सिर्फ़ इतना है मेरे सच को छोड़ ;
तुने झूठों की सफाई दी होगी /

4 दिल से निकल पलकों पे सजा लिया तुने ,
मुझसे वफ़ा ना करते मेरी वफ़ा को क्यूँ सजा दिया तुने /

Friday 13 November 2009

चलो इक बार फिर से अपनी दुनिया बसा ले हम ,

चलो इक बार फिर से अपनी दुनिया बसा ले हम ,
मेरी बातों को तुम समझो तेरी राहों को मै जानू ;
मेरे भावों को तुम जानो तेरे सपनों को मै मानू ;
मेरे अरमाँ को तुम जिओं तेरी सोचों को मै मानू '
चलो इक बार फिर से अपनी दुनिया बसा ले हम ,
खो के इक-दूजे में अपने ख्वाबों को सच कर ले हम ;
दुनिया को ना भूलें मगर ख़ुद को ना तोडे हम ,
रिश्तों को तो जोडें मगर ख़ुद का ना छोडे हम ;
चलो इक बार फिर से अपनी दुनिया बसा ले हम ,
प्यार छिपा है जो हम दोनों के सीने में ;
क्यूँ उसे इक दूजे पे ना वारें हम ;
खुशियाँ गर मिलती हैं हमें बातों मुलाकातों में ,
क्यूँ न करें बातें क्यूँ ना करें मुलाकातें हम ;
कीमत तो देनी पड़ती है हर खुशी की जीवन में ,
जीवन का करेंगे क्या जिसमे न होंगे इक दूजे के संग हम ;
चलो इक बार फिर से अपनी दुनिया बसा ले हम ,
कुछ पल ख़ुद भी जी लें आ इक दूजे को बाँहों में भर लें हम ;
चलो इक बार फिर से अपनी दुनिया बसा ले हम ,

ताशकंद शहर

 चौड़ी सड़कों से सटे बगीचों का खूबसूरत शहर ताशकंद  जहां  मैपल के पेड़ों की कतार  किसी का भी  मन मोह लें। तेज़ रफ़्तार से भागती हुई गाडियां  ...