Sunday 28 July 2013

एक वैसी ही लड़की




एक शाम अकेले
जाने-पहचाने रास्तों पर
अनजानी सी  मंजिल  की तरफ
बस समय काटने के लिए बढ़ते हुए
देखता हूँ
एक वैसी ही लड़की

जैसी लड़की को
मैं  कभी प्यार किया करता था

उसे पल भर का देखना
उन सब लम्हों को देखने जैसा था

जो मेरे     अंदर,
        तब  से  बसते  हैं
जब  से  उस  लड़की से,
  मुलाकात  हुई  थी
जिसे  मैं  प्यार  करता था

उस  एक पल  में
मैं जी  गया  अपना  सबसे,
  खूबसूरत  अतीत
और  शायद  भविष्य  भी  .

वर्तमान  तो  बस  तफरी  कर रहा था
लेकिन  उस  शाम की  याद
  जाने  कितने  जख्मों  को हवा  दे  गयी
काश क़ि

 वो   लड़की ना  मिलती  .

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