Thursday 20 June 2013

तुम चले जाओगे --रचनाकार: अशोक वाजपेयी

तुम चले जाओगे

पर थोड़ा-सा यहाँ भी रह जाओगे

जैसे रह जाती है

पहली बारिश के बाद 

हवा में धरती की सोंधी-सी गंध 

भोर के उजास में 

थोड़ा-सा चंद्रमा 


खंडहर हो रहे मंदिर में


अनसुनी प्राचीन नूपुरों की झंकार|

तुम चले जाओगे


पर थोड़ी-सी हँसी


आँखों की थोड़ी-सी चमक


हाथ की बनी थोड़ी-सी कॉफी


यहीं रह जाएँगे


प्रेम के इस सुनसान में|

तुम चले जाओगे 


पर मेरे पास 


रह जाएगी


प्रार्थना की तरह पवित्र 


और अदम्य


तुम्हारी उपस्थिति,


छंद की तरह गूँजता


तुम्हारे पास होने का अहसास|

तुम चले जाओगे


और थोड़ा-सा यहीं रह जाओगे|

--रचनाकार: अशोक वाजपेयी 

3 comments:

  1. तुम चले जाओगे

    पर मेरे पास

    रह जाएगी

    प्रार्थना की तरह पवित्र

    और अदम्य

    तुम्हारी उपस्थिति,

    छंद की तरह गूँजता

    तुम्हारे पास होने का अहसास|---बहुत सुन्दर एहसास की प्रस्तुति
    latest post परिणय की ४0 वीं वर्षगाँठ !

    ReplyDelete
  2. तुम चले जाओगे

    और थोड़ा-सा यहीं रह जाओगे|
    kya baat hai ...

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  3. अच्छे अनुभवों को बाँटना और अपनी अपनी तरह से सौंदर्य की व्याख्या करना मानव स्वभाव है। कुछ बहुत प्रभावशाली लेखनी के धनी लेखकों ने जीवन और प्रकृति के सौंदर्य के प्रति अपने प्रेम को लिखकर प्रकट किया है और इस प्रकार संसार को कई अनुपम रत्न भेंट किये हैं। वहीं कुछ ज़िम्मेदार लेखकों ने अच्छी किताबों के अनुवाद भी प्रस्तुत किये है। अब कई बढ़िया हिन्दी किताबें ऑनलाइन (Hindi books online) उपलब्ध हैं। अंग्रेज़ी साहित्य के कुछ उत्कृष्ट नमूने भी अब ऑनलाइन (English books online) मौजूद हैं और इसके अलावा लगभग सभी मौलिक व परिवर्तनकारी किताबों के हिन्दी और अंग्रेज़ी संस्करण प्राप्त करना अब मुश्किल नहीं।

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