Saturday 28 January 2012

आखिर प्यार पे इतनी पैनी नजर क्यों होती है

सोचता हूँ कि आखिर प्यार पे इतनी पैनी नजर क्यों होती है ।

 इच्छाओं के बीच इतने नियम कहाँ से आ जाते हैं ?

अनुराग को व्यभिचार की चार दिवारी क्यों दे दी जाती है ?

एक जन्म बमुश्किल निभा पानेवाले ,

सात जन्मों की कसम कैसे खा लेते हैं ?

सम्बन्धों का समीकरण प्रेम से ज्यादा ,

खोखली समाजिकता का मोहताज क्यों है ?


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