भ्रम है प्यार का या वेदना चाह की,
नीरवता की सकल कमाई या स्वप्न मधुमास की ,
सहज क्षितिज की विकल रागिनी या प्रतिध्वनी स्मृति के विवश प्रवाह की ,
चाहत की पीड़ा या ह्रदय की क्रीडा ,
मंत्रमुग्ध नयन झर झर करता या अपलक आखों का स्वर कुछ कहता /
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मै बार -बार university grant commission के उस फैसले के ख़िलाफ़ आवाज उठा रहा हूँ ,जिसमे वे एक बार M.PHIL/Ph.D वालो को योग्य तो कभी अयोग्य बता...
वेदना व्यक्त करती रचना !
ReplyDeleteअपनी बात को ब्यान करने मै सफल रचना