Saturday 3 April 2010

थी क्या तलाश जो तू मेरा ना हुआ ,

थी क्या तलाश जो तू मेरा ना हुआ ,
वो भी क्या मुलाकात जो अँधेरा न हुआ ;
.

शिद्दत की चाहों से ,
बेपनाह मोहब्बत की राहों से ,
क्या शिकायत थी मेरी भावों से ,
क्यूँ नहीं लौटा क्यूँ मेरा ना हुआ ,
ऐसी भी क्या रात जो सबेरा न हुआ;
.

थी क्या तलाश जो तू मेरा ना हुआ ,
ऐसों का भी क्या साथ जो तेरा न हुआ ;
थी क्या वो रात जों चेहरा सुनहरा ना हुआ ,

वो भी क्या मुलाकात जों अँधेरा ना हुआ /

थी क्या तलाश जो तू मेरा ना हुआ ,
वो भी क्या मुलाकात जो अँधेरा न हुआ ;

No comments:

Post a Comment

Share Your Views on this..

उज़्बेकी कोक समसा / समोसा

 यह है कोक समसा/ समोसा। इसमें हरी सब्जी भरी होती है और इसे तंदूर में सेकते हैं। मसाला और मिर्च बिलकुल नहीं होता, इसलिए मैंने शेंगदाने और मिर...