Sunday 4 April 2010

बिन प्यासा पानी चाहूँ , बिन तरसे प्यार /

बिन प्यासा पानी चाहूँ , बिन तरसे प्यार ;
राई के पर्वत पे बैठा , कैसे जायु पार;
.
इक तरफ है आइना , इक तरफ तस्वीर पुरानी ,
कुछ यादें हैं और चलती जिंदगानी ;
ना शौक है आइना देखूं , न चाहता हूँ पुरानी कहानी ;
ना जोर है दिले मोहब्बत पे , ना मांगूं तेरी मेहरबानी /
.
बिन प्यासा पानी चाहूँ , बिन तरसे प्यार ;
राई के पर्वत पे बैठा , कैसे जायु पार
/
.
तेरे चेहरे के नूर , तेरे व्यंगों का तीर ;
खिलाता ह्रदय , बेध जाता जिगर ;
मोहब्बत के मजमून , सदायें रंगीन ;
वो उलझे इरादे , वो जफ़ाएं हसीन ;
.
इक ओर दिल है , इक ओर अच्छाई ;
बिना भावों की , क्या कोई सच्चाई ;
वो मान्यताओं की सांकल , ये प्यार का खुला हुआ आँचल ;
उधर है ज़माने की रीती , इधर है मोहब्बत और प्रीती ;
.
बिन प्यासा पानी चाहूँ , बिन तरसे प्यार ;
राई के पर्वत पे बैठा , कैसे जायु पार /
=

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