Wednesday 10 March 2010

मैं तो टूटा उतना ही,जितने तोडा गया मुझे

  मैं तो टूटा उतना ही,
  जितना तोडा गया मुझे.
  लेकिन मेरे सपनों का, 
  टूटना लगभग नामुमकिन है .


जितना जादा सज्जन था,
उतने ही दुर्जन मिले मुझे.
लेकिन मुझको बदल पाना ,
उनके लिए ना संभव था .

सच्चाई क़ी राह पे मैं,
यद्यपि बिलकुल तनहा रहा .
लेकिन किसी का कोई डर,
मन में मेरे रहा ना अंदर . 

 अपनी शर्तों पर जीना,
 रहा मेरा जीवन नियम .
 चका-चौंध इस  दुनिया क़ी, 
भरमा ना पाई मुझे कभी .
 

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