Tuesday 19 January 2010

एक और २६ जनवरी ************************

एक और २६ जनवरी ************************

   मित्रो ,
           आज का  दिन (२६ जनवरी ) हम सभी के लिए  गर्व  और आदर का दिन है . इस महान लोकतान्त्रिक देश का यह  गणतन्त्र दिवस हमारी उम्मीदों ,संकल्पों और आशाओं  का जीवंत दस्तावेज है . यह मात्र एक ऐतिहासिक दिन नहीं ,बल्कि मानवता के इतिहास के नीव का दिन है . इतिहास साक्षी है कि हमने  कभी भी मानवता को शर्म सार  करने वाला  कोई भी कार्य नहीं  किया . जब कमजोर थे तब भी,और अब जब विश्व कि महाशक्ति  बनने जा रहे हैं तब भी . 
         जिस सपने को अपने आँखों में लेकर  भारत आगे बढ़ा है ,वे हैं -शांति,अहिंसा ,प्रेम ,करुना ,प्रगति ,रक्षा और वसुधैव कुटुम्बकम का महान सपना . हमे भी इन्ही सपनो को  सच करने के लिए आगे  काम करना  होगा . भारत के नव निर्माण की बुनियाद में  इन्ही मजबूत इरादों के साथ उतरना  होगा . न केवल एक  खुशहाल भारत बल्कि हमे एक खुशहाल विश्व के लिए काम करना होगा . आज वो समय आ गया है जब सारा विश्व  अपने सपनो के लिए विश्वाश भरी दृष्टि से इस देश की तरफ  देख  रहा है . हम सब की तरफ देख रहा है . विज्ञान ,कला और संस्कृति को  आत्मसाथ करते हुए ,हमे पूरे विश्व की तस्वीर बदलने के लिए काम करना होगा. यह देश,यह दुनिया  यह पूरी धरा  हमारी कर्मभूमि होगी . जात-पात -ऊँच-नीच  के  भेद को भुला कर ,देश-प्रांत-भाषा और सम्प्रदाय को भुलाकर हमे मानव कल्याण के लिए आगे आना होगा .
   आज  ग्लोबल वार्मिंग, आतंकवाद,और ऐसी ही कई  समस्याएँ  हमारे  सामने हैं. लेकिन इन सब पे हमे विजय पानी होगी . हमे मानवता के सुंदर सपने को साकार करना होगा . हमे विश्व का नेतृत्व करना होगा . शिक्षा ही वह कारगर हथियार है जिसके दम पे हम यह लड़ाई न केवल लड़ सकेगे,बल्कि जीत भी सकेंगे . शिक्षा क्षेत्र में क्रांति की आवश्यकता है , माफ़ करिए लेकिन यह क्रान्ति ६ पे कमीशन लगने  मात्र से नहीं आयेगी . इसके लिए हमे अपने अंदर एक आत्म अनुशाशन लाना होगा . अपने काम के प्रति अधिक इमानदार ,परिश्रमी ,शोधपरक और पारदर्शी होना होगा . 
            ओछी  राजनीति  के चंगुल से निकल के सृजनात्मक कार्यो से अपनेआप  को जोड़ना होगा . आदर्शो और मूल्यों को अपनाना होगा . भूमंडलीकरण और भुमंडीकरन  के इस दौर में  मानवीय  संवेदनाओं  और रिश्तो के महत्व को बनाए रखना होगा . याद रहे -हमे वक्त के  सांचे में नहीं बदलना है,बल्कि वक्त को  अपने साँचे में ढालना है . हमारी लड़ाई  अज्ञानता,अन्धविश्वाश,अमानवीयता और असंवेदनशीलता से है ,ना की किसी देश ,धर्म या समाज से . तो आइये एक बेहतर कल के लिए हम सब अपने आज को अपने कर्म से सींचने का संकल्प ले .
 जय हिंद ************ 

No comments:

Post a Comment

Share Your Views on this..

उज़्बेकी कोक समसा / समोसा

 यह है कोक समसा/ समोसा। इसमें हरी सब्जी भरी होती है और इसे तंदूर में सेकते हैं। मसाला और मिर्च बिलकुल नहीं होता, इसलिए मैंने शेंगदाने और मिर...