Sunday 17 January 2010

मै वही मोहब्बत वही शख्स हूँ /

अनजान नहीं हूँ ,पहचान नहीं हूँ ,

पर अब तेरा ध्यान नहीं हूँ ,

विरह विराट हूँ ,अव्यक्त अहसास हूँ ,

अब तेरा विभक्त विश्वास हूँ ,

प्यार मेरा न थमा है न थमेगा ,न घटा है न घटेगा ,

तेरे बाँहों में था जो सुख ,

मन उसे न भुला है न भूलेगा ,न उससे जी भरा है न भरेगा ,

आशक्त था आशक्त हूँ ,

तेरी बातों का अर्थ हूँ ,न बदला वो असमर्थ हूँ ,

तेरी बड़ती अभिलषा ने पीछे छोड़ा ,

नयी विधाओं से ना खुद को जोड़ा ,

जिसे देख चुपके से तू आंसूं पोंछे ,

मै वही मोहब्बत वही शख्स हूँ /

No comments:

Post a Comment

Share Your Views on this..