Saturday 14 November 2009

मेरी मोहब्बत को मेरी कमजोरी ना समझ /

मेरी मोहब्बत को मेरी कमजोरी ना समझ ,

मेरी चाहत को मेरी खुदगर्जी ना समझ ,

मेरी अंदाजे बेफिक्री को बेवफाई ना समझ ;

मेरे आखों के आंसू को दुहाई न समझ /

कब चाहा की तेरे आखों में आंसू आए ;

मेरे इश्क को मेरी गुस्ताखी ना समझ ;

तेरी मुस्कराहट के लिए ख़ुद को मिटा दू मैं ;

मेरे जजबातों को बेकाफी ना समझ ;

मेरी नाराजगी को भले तू ना वाजिब माने ;

मेरे प्यार को व्यर्थ की नुमाइश ना समझ /

भले तेरे रिश्ते का मुझे तू साहिल ना बना ,

मैं इश्क ना निभा पायूँगा ऐसा काहिल ना समझ ;

मेरे जीने की वजह मेरे दिल की दुआ तू है ;

मेरी मोहब्बत को तू नाकाबिल ना समझ /

No comments:

Post a Comment

Share Your Views on this..