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Friday 7 August 2009
हम जैसों के खातिर ही ------------------
इंतजार हो मौसम का ,
इतना मुझ मे सब्र कँहा ?
हम जैसों के खातिर ही ,
बेमौसम होती बरसात प्रिये ।
-अभिलाषा
1 comment:
vandana gupta
8 August 2009 at 15:11
waah waah..........lajawaab
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