Friday 8 May 2009

गुजरा ज़माना , आज का फ़साना /

गुजरा जमाना ,


आज का फ़साना ;


अनकही बातें ,


अधूरे जजबात ,


और वो रात /


अरमानो का मौसम ,


बाहों की जकडन ,


जलता तन ;


बहकता मन ,


सतत प्यास ,


वो भावों का कयास ;


महकी सांसों का बंधन ,


तन से खिलता तन ;


क्या सच क्या सपना ;


रास्ता देखती आखें ,


आखों से आखों की बातें ;


सुबह का इंतजार करती रातें ;


स्पर्श से आल्हादित दिन ,


सामने पाके हर्षित मन ;

प्यार बरसते नयन ,

भावनावों की मदहोशी ;

उसपे तेरी हंसी ,

क्या सच , क्या सपना ;

क्या भाग्य क्या विडम्बना ,

क्या तू है मेरा अपना /


1 comment:

  1. bahut hi umda khyal..........bhavnaon ka jwar bhata hai.

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