Monday 27 April 2009

चीत्कारता समाचार

प्रताडित तःथ्यों और पीड़ित शब्दों से बने ,आज के समाचारों की चिल्लाहट से हम सब सराबोर हैं ;

इन समाचार कथन के टी। वी के अत्याचार से से भावाभोर हैं/

Breaking News शब्द सही नही लगता ,इन समाचारों की व्याख्या का ;

चीत्कारता समाचार ज्यादा उचित शब्द है इन टी। वी। के समाचारों के व्यभिचार का/

वैसे उचित प्रतीत होती है ,इन समचारों को हमारे सर पर मारने की विधी ,

आखिर हमारे आचार विचार और कर्मों की सीमा ही है इनकी परिधी /

ये समाचार आज के आईने हैं ,थोडा बड़ा और नाटकीय भले प्रस्तुति है इनकी ,

स्वार्थ ने उसकाया, फायदा दलालों और सरकारी बाबुओं ने उठाया है ;

हम सबसे और सरकारी बाबुओं से फायदा उठाये वो नेता कहलाया है /

हमारा स्वार्थ छोटा है ,परिपेछ्य छोटा है ,बाबु का दायरा बड़ा स्वार्थ बड़ा चडा है ,

नेता का इरादा दोनों से बना और विशाल है ;

हम , सरकारी बाबु और नेता अभी एक आइना कम था ;अभी भी भ्रस्टाचार थोडा नम था /

ये समाचार पत्रों और टी। वी। के समाचार के पत्रकार इन सबसे एक कदम आगे हैं ;

किसी का हाथ थामे किसी को पुचकारे किसी को धमकाए हैं ;

कभी नेता का हाथ कभी जनता का दामन कभी बाबुओं के साथ ,ये सभी के दुलारें हैं /

ये तीनो की भ्रष्टतम स्थिति यही संभाले हैं ;तभी जनतंत्र का चौथा स्तम्भ कहलाते हैं \

इनके कर्मों से खुद को दुत्कारती इनकी आत्मा चित्कारती रहती है ;

तभी कहता हूँ ब्रेकिंग न्यूज़ नहीं चित्कारती आत्मा का समाचार ;

ब्रेकिंग खुच बचा नहीं ,चिल्लाती अंतरात्मा का समाचार ;चीत्कारता समाचार ही होना चाहिए /

विनय

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